Skip to main content

Posts

Featured

मेरे मन की व्यथा – गाँधी

  [ यहाँ गाँधी के रूप में उन सभी महान स्वतंत्रता कि बात कही गयी है जो इस मात्रभूमि के लिए अपने जीवन की आहूति या बलिदान दे चुके है , फिर चाहे वो रानी लक्ष्मीबाई हो या भगतसिंह आजाद ..... ] मेरे मन की व्यथा – गाँधी जन्मा तो दो अक्टूबर को मोहनदास नाम से , पर कुछ खास न दे पाया मातृभूमि के अत्यधिक प्यार से | बस दिए थोड़े से विचार पर वह भी क्या विचार थे ? भागवत,रामायण,कुरान और अधिक पुराण इनसे थोड़ी महान थे | कहा अहिंसा करनी है ऐसे ही स्वतन्त्र हो पाएँगे , पर क्या पता था यह अहिंसा को हराम मान जायेंगे | छलनी हुए करोड़ो तन वह भी मनुष्य की तृष्णा न छान सके | इस मुश्किल भरी आजादी को सब पथ का पत्थर मान रहे , करते हिस्सेदारी जन्म से ,रूढ़ियों का दामन थाम रहे | पुरुष है स्त्री से बेहतर अभी भी यह मान रहे | पर भूल जाते जन्म दिया जिस उदर ने , उसी को काटने की लालसा ठान रहे | जन्मे लड़के रूप में..खुद को महान मान रहे, अरे ! क्या महान होंगे वो जो करके 35 टुकड़े अपने ईमान को ढीक मान रहे | कहीं दूँ अंतिम बात जो है मेरे विचलित मन के साथ कि – मैंने क्यों दिलाई आजादी जो किसी को कि

Latest Posts

MAHISHASUR MARDINI STUTHI